था इंतेज़ार तुम्हारा , मोहाबत के वास्ते नहीं इंतेज़ार था तुम्हारी कद्र करता था ।। अब तेरे होने और न हो से घंटा फर्क नहीं पड़ता ।। मजाक नहीं मोहबत था मेरा , मैं तो तुमपे यूहीं मरता था।। मुझे अब घंटा फर्क नहीं पड़ता क्यों की तभी तुम्हे में खोने से को डरता था ।। sala ghanta fark nhi padta