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था इंतेज़ार तुम्हारा , मोहाबत के वास्ते नहीं इंते

था इंतेज़ार तुम्हारा , मोहाबत के वास्ते  नहीं
इंतेज़ार था तुम्हारी कद्र करता था ।।
अब तेरे होने और न हो से घंटा फर्क नहीं पड़ता ।।
मजाक नहीं मोहबत था मेरा , मैं तो  तुमपे यूहीं  मरता था।।
मुझे अब घंटा फर्क नहीं पड़ता क्यों की तभी तुम्हे में खोने से को डरता था ।। sala ghanta fark nhi padta
था इंतेज़ार तुम्हारा , मोहाबत के वास्ते  नहीं
इंतेज़ार था तुम्हारी कद्र करता था ।।
अब तेरे होने और न हो से घंटा फर्क नहीं पड़ता ।।
मजाक नहीं मोहबत था मेरा , मैं तो  तुमपे यूहीं  मरता था।।
मुझे अब घंटा फर्क नहीं पड़ता क्यों की तभी तुम्हे में खोने से को डरता था ।। sala ghanta fark nhi padta
akshaykumar4425

Akshay Kumar

New Creator