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White बहुत थक गई थी मैं .... रोज़ रोज़ ही किसी के

White बहुत थक गई थी मैं ....
रोज़ रोज़ ही किसी के इंतज़ार से, 
लोगों की बदली हुई पहचान और अजनबियों वाले बरताव से,
रोज़ की नाराज़गी, ग़लत-फ़हमी और ख़ामोशियों से,
लोगों के रोज़ ही बदलते हुए दिल और जज़्बात से,
लोगों के हर रोज़ नए-नए खेल से ,
लोगों के double standard वाले बरताव से,
और मुझ पर हर वक़्त नज़र रखती हुई किसी की नज़र से।
बेज़ार हो गई थी मैं ....
कुछ ना सुलझने वाली उलझनों से,
हर वक़्त मुझे घेर कर खड़े हुए सवालों से ।
इसलिए ज़रूरी हो गया था कुछ वक़्त के लिए 
ख़ुद को दूर कर लेना इन सारी बातों से।
घर मेरा है,जब दिल चाहेगा वापस लौट कर जा सकती हूॅं मैं,
लेकिन फ़िलहाल दूर हो गई हूॅं मैं अपने ही घर से।

©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi 
#Dil_bezaar 
#intazaar 
#doublestandards 
#nojotohindi 
#Quotes 
#24Sept  #4pm
sad shayari
White बहुत थक गई थी मैं ....
रोज़ रोज़ ही किसी के इंतज़ार से, 
लोगों की बदली हुई पहचान और अजनबियों वाले बरताव से,
रोज़ की नाराज़गी, ग़लत-फ़हमी और ख़ामोशियों से,
लोगों के रोज़ ही बदलते हुए दिल और जज़्बात से,
लोगों के हर रोज़ नए-नए खेल से ,
लोगों के double standard वाले बरताव से,
और मुझ पर हर वक़्त नज़र रखती हुई किसी की नज़र से।
बेज़ार हो गई थी मैं ....
कुछ ना सुलझने वाली उलझनों से,
हर वक़्त मुझे घेर कर खड़े हुए सवालों से ।
इसलिए ज़रूरी हो गया था कुछ वक़्त के लिए 
ख़ुद को दूर कर लेना इन सारी बातों से।
घर मेरा है,जब दिल चाहेगा वापस लौट कर जा सकती हूॅं मैं,
लेकिन फ़िलहाल दूर हो गई हूॅं मैं अपने ही घर से।

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