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के ये कलयुग है साहब ! मेरे कान्हा का वृंदावन नहीं,

के ये कलयुग है साहब !
मेरे कान्हा का वृंदावन नहीं,
यहाँ लोग चोट देकर और सब कुछ लेकर जाते हैं,
पराए के दुखों को हरने वाला कोई मनमोहना नहीं ! #nojoto #nojotoworld #poetry #shayri #kanha #kalyug
के ये कलयुग है साहब !
मेरे कान्हा का वृंदावन नहीं,
यहाँ लोग चोट देकर और सब कुछ लेकर जाते हैं,
पराए के दुखों को हरने वाला कोई मनमोहना नहीं ! #nojoto #nojotoworld #poetry #shayri #kanha #kalyug