White पल्लव की डायरी चिंगारी सुलगती रही सन चौबीस में तन मन सब के झुलसे है धर्म के नाम पर अधर्म होता मानवता के मापदंड टूटे है एक अक्स में सबको ढाले तन्त्रो के कहर कौमो की एकता तोड़े है घर परिवार दहशत में पलते घोड़े शासन ने अराजकता के छोड़े है दर्दनाक मोड़ पर आमजन है उनकी क्षमताओं पर पूर्णविराम भूख गरीबी की आग भारत मे सुरसा की तरह भड़की है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_shayri घोड़े शासन ने अराजकता के छोड़े है