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ए हवा सुन मेरी बेरंग ज़िंदगी में थोड़ा सा रंग भर द

ए हवा सुन मेरी बेरंग ज़िंदगी में
थोड़ा सा रंग भर दे..
खुशहाली दिलो की दिलों में महकने दे. 
यू तो पवन बन तुम हिलोरे खाती हो. 
फिर मेरी जिंदगी में ही क्यों गोते खाती हो;
रूप तुम्हारा कभी झलकता नही..
फिर मेरे रूप पर क्यों जुल्फें लहराती हो..
कानों में सन–सन की आवाज सुनाती हो..
बादल और बिजली की तरह जोर से दहाड़ती हो.
ए हवा सुन मेरी बेरंग ज़िंदगी में 
थोड़ा सा रंग भर दे!

©Monika jayesh Shah
  #Identity 
ए हवा सुन मेरी बेरंग ज़िंदगी में
थोड़ा सा रंग भर दे..
खुशहाली दिलो की दिलों में महकने दे. 
यू तो पवन बन तुम हिलोरे खाती हो. 
फिर मेरी जिंदगी में ही क्यों गोते खाती हो;
रूप तुम्हारा कभी झलकता नही..
फिर मेरे रूप पर क्यों जुल्फें लहराती हो..

#Identity ए हवा सुन मेरी बेरंग ज़िंदगी में थोड़ा सा रंग भर दे.. खुशहाली दिलो की दिलों में महकने दे. यू तो पवन बन तुम हिलोरे खाती हो. फिर मेरी जिंदगी में ही क्यों गोते खाती हो; रूप तुम्हारा कभी झलकता नही.. फिर मेरे रूप पर क्यों जुल्फें लहराती हो.. #कविता

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