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रुठे-रुठे क्यों बैठे हो,गुमसुम से क्यो दुर खड़े हो

रुठे-रुठे क्यों बैठे हो,गुमसुम से क्यो दुर खड़े हो
आओ!जरा मैं तुमको हंसा दूँ,रुठे हो अब तुमको मना लूँ
तेरी नजर मे सावन रख दूँ,खुद को मैं बरसात बना लूँ
कुछ तो कहो ,क्यो बूत बने हो
गुमसुम से क्यों दूर खड़े हो
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मौसम भी है रुठ गया सा,मिलता नहीं है मुझको दिलाशा
आओ हंस के बाते कर.लें,बीते पल में जी ले मर लें
देखो इधर,क्यों रुठ रहे हो,गुमसुम से क्यो दुर खड़े हो
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आओ तुम्हें ईक ख्वाब दिखाउँ,ख्वाबों मे तेरी जुल्फें सजाउँ
पाँव को तेरे हाथ मे रखकर,अपने लब से रंग लगाउँ
रूको जरा मेरा हाथ पकड़ लो,गुमसुम से क्यों दुर खड़े हो
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रुठे-रुठे.............................।
गुमसुम से .............................।
समन्दर #NojotoQuote Satyaprem Internet Jockey खुशवंत Harvinder Singh Virdi Vinay Vinayak
रुठे-रुठे क्यों बैठे हो,गुमसुम से क्यो दुर खड़े हो
आओ!जरा मैं तुमको हंसा दूँ,रुठे हो अब तुमको मना लूँ
तेरी नजर मे सावन रख दूँ,खुद को मैं बरसात बना लूँ
कुछ तो कहो ,क्यो बूत बने हो
गुमसुम से क्यों दूर खड़े हो
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मौसम भी है रुठ गया सा,मिलता नहीं है मुझको दिलाशा
आओ हंस के बाते कर.लें,बीते पल में जी ले मर लें
देखो इधर,क्यों रुठ रहे हो,गुमसुम से क्यो दुर खड़े हो
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आओ तुम्हें ईक ख्वाब दिखाउँ,ख्वाबों मे तेरी जुल्फें सजाउँ
पाँव को तेरे हाथ मे रखकर,अपने लब से रंग लगाउँ
रूको जरा मेरा हाथ पकड़ लो,गुमसुम से क्यों दुर खड़े हो
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रुठे-रुठे.............................।
गुमसुम से .............................।
समन्दर #NojotoQuote Satyaprem Internet Jockey खुशवंत Harvinder Singh Virdi Vinay Vinayak