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अधर उसकी थी औ लब मेरे थे, रंगीली शाम को दोनों बेबस

अधर उसकी थी औ लब मेरे थे,
रंगीली शाम को दोनों बेबस अकेले थे,
जो मिलते एक-दूजे तो ऊधम होने थे,
सुलगती आग तो उगलते ही हैं यौवन,
जो जुड़ते तो पूष की रात में भी नहाने थे...।। #poem #shayari #love
अधर उसकी थी औ लब मेरे थे,
रंगीली शाम को दोनों बेबस अकेले थे,
जो मिलते एक-दूजे तो ऊधम होने थे,
सुलगती आग तो उगलते ही हैं यौवन,
जो जुड़ते तो पूष की रात में भी नहाने थे...।। #poem #shayari #love