ॐ **सद्गुरु** ॐ स= सत्य,सम्पूर्णता,सार,सागर द = दानी ,दाता ,दृष्टा, दिनकर गु = गुणसागर,गुणातीत,गुरनिधी,गूढ़ र = रस ,रमणीय ,रासनिधि,रहस्य ऊ = ऊर्जा, ऊर्ध्व,ऊधवातीत,ऊर्मिकातीत **अर्थात सद्गुरु शाश्वतसत्य का वह गहन बोधिरमयम महासागर है जो परम् पूज्य महादानी एवम परम् दृष्टा तथा अनंतसूर्यो की दिव्य चैतन्य आभा का विराट पुंज हैं गुण की खान हैं ,सम्पूर्ण गुणों में होते हुए उनसे पार हैं,एवं गूढ़ रहस्यनिधी हैं तथा सम्पूर्ण रहस्यों में रमन करने वाली वह परम महाविराट उर्ध्वगमी, उर्ध्वरेचा, उर्मिका (तरंग लहर) के पार की परम चैतन्य ऊर्जा है जो जीव में बोध के विराट अस्तित्व का सृजनात्कम आधार है** 🙏 **अभिमन्यु (मोक्षारिहंत)**🙏 ©Abhimanyu Dwivedi सद्गुरु