थक चुकी है धड़कन, रूकने को तैयार है है कर्ज जिंदगी का, कुछ ग़म उधार हैं ये भी है इश्क जैसी,भरी हुई ज़हर से.... 'सिगरेट' तो छोड़ दूं पर, धुएं से प्यार है #kabirsingh#cigrrate