क्रांति की आग कभी भी किसी भी उम्र मे इंकलाब का रुप ले सकती हैं। आजादी मे ली गई एक सांस, गुलामी के लाखो हजारों साल जीने से बेहतर है। इंकलाब जिंदाबाद ©anurag bauddh #इंकलाब