तू कहती है दुआओ में अपनी तुझे में बसाऊ, ये कैसे करूँ के तुझे में भूल जाऊ, तू खुद ही सोच अपने जमीर को कैसे में दबाऊं, तेरी इस जीद्द के आगे कैसे में तुझे भूल जाऊ, तू कहे तो जलती आग में खुद को में जलाऊ, ये कैसे करूँ के मे तुझे भूल जाऊ, तेरे एक एक सितम को माथे से में लगाऊ, कैसे करू के में तुझे भूल जाऊ, तेरी मुस्कुराहटों की कीमत अपने लहू से में चुकाऊँ, कैसे ये करू में के तुझे भूल जाऊ, तेरी एक एक चाहतो के बदले अपना सब कुछ में लुटाऊ, ये कैसे करू के तुझे में भूल जाऊ... Written:- By Umesh kumar #चाहत यादो की