आज #मिज़ाज "मौसम"का बदल गया ऐसे, जैसे"इंसान"की #फ़ितरत बदलती रहती है। एक "चेहरे" के साथ रहते नही लोग यहाँ, मुस्कान #मुखोटों पर आती-जाती रहती है। बहुत "करीब" रह कर भी "पहचान" नहीं पाते, "भावना" दिल मे औऱ बाहर कुछ औऱ रहती है। #मिज़ाज आज #मिज़ाज "मौसम"का बदल गया ऐसे, जैसे"इंसान"की #फ़ितरत बदलती रहती है। एक "चेहरे" के साथ रहते नही लोग यहाँ, मुस्कान #मुखोटों पर आती-जाती रहती है। बहुत "करीब" रह कर भी "पहचान" नहीं पाते, "भावना" दिल मे औऱ बाहर कुछ औऱ रहती है।