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क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है,

क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

©Upendra Dubey क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।
क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

©Upendra Dubey क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी। #जानकारी