कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 1 :- बहती हवा (ग़ज़ल) ********************* तुझे छूकर गुज़रती हुई ये बहती हवा, जाने क्या कहती है ज़रा मुझे भी बता। बड़ी ख़ुशक़िस्मत है जो तुझे छू पाई, मेरे नसीब में तो तुझसे दूरी ही लिखा। तेरे रुख़सारों को तेरी ज़ुल्फों से छूती है, मैं हाथ भी लगाऊँ तो इसमें मेरी ख़ता। मैं अफसोस भी ज्यादा कर नहीं सकता, मेरी हर ख़्वाहिश है अब तुझको पता। मैं ज़िक्र भी तेरा कभी कर नहीं सकता, इस हवा ने तो अब तुझको ही छू लिया। कमबख़्त बड़ी शातिर है ये ज़िद करती है। जैसे आँखों में छाया हो सिर्फ तेरा नशा। कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 1 :- बहती हवा (ग़ज़ल) तुझे छूकर गुज़रती हुई ये बहती हवा, जाने क्या कहती है ज़रा मुझे भी बता। बड़ी ख़ुशक़िस्मत है जो तुझे छू पाई, मेरे नसीब में तो तुझसे दूरी ही लिखा।