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पल्लव की डायरी गुम सुम,तेरा चेहरा कियो मुरझाया है

पल्लव की डायरी
गुम सुम,तेरा चेहरा कियो मुरझाया है
कौन सा जख्म,तूने गले लगाया है
मैं तेरे सुख दुख का साथी हूँ
पलको पर तुझे बिठाया है
तू मेरे उपवन की मल्लिका है
तेरी महको से घर आँगन खिल खिलाना है
रानी है तू मेरे दिलो की
कोई गम और बोझ नही उठाना है
                             प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  मैं तेरे सुख दुख का साथी हूँ
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