में बदलने लगी हूँ... हाँ मानती हूँ मैं बदलने लगी हूँ मगर तुम मुझे बदलने से रोक पाए क्या माना मैं सिमट कर रह गई अब खुद तक पर क्या तुम मेरे बच्ची वाले स्वभाव को मेरे अंदर रोक पाए क्या मैं तो बचपन से अब तक तुम्हारे ही साथ थी ना तो तुम मेरे बदलने का इल्जाम मुझे देने की जगह खुद कुछ पाए क्या... अब प्यार मोहब्ब्त तो बहुत दूर की बात है तुम मेरे साथ अपनी वो दोस्ती भी बचा पाए क्या माना जिम्मेदारी के चलते खो दिया मैंने खुदको मगर तुम मेरा, मुझे ढूँढने में साथ दे पाए क्या चलो लाख बुराइयाँ , लाख घमण्ड सही मुझमें पर तुम मेरी बुराई , मेरे घमण्ड को छोड़ मुझे अपना पाए क्या शिकायतों का पिटारा खोल मुझे तंज करने के अलावा तुम कुछ और कर पाए क्या...?? ©Priya Singh #badlav #Dosti #Hum #ishq #Gum #Takleef #Journey