ए जिन्दगी मुझे मुलाकात करनी है तुझसे कोपचे मे चल कुछ बात करनी है तुझसे| मेहमान हैं तेरे मेहमानों की तरह पेश आ इंसान हैं हम भी इंसानों की तरह पेश आ हम तेरे अपने हैं कोई अन्जान नहीं मत मेरे साथ अन्जानों की तरह पेश आ अभी रुक कछ और सवालात करने हैं तुझसे कोपचे मे चल कुछ बात करनी है तुझसे| तू ही बता की मैने तेरा बिगाडा़ क्या है खुद के सिवा मैने और उजाडा़ क्या है बडी़ बडी़ डींगे हांकता है औरों के आगे रुलाने के सिवा तूने और उखाडा़ क्या है शिकायतें कई दिन-रात करनी हैं तुझसे कोपचे में चल कुछ बात करनी है तुझसे| जिन्दगी......