रोते रहे हम उस बे-हया के सामने... हाथ जोड़ अपनी मोहब्बत को गिड-गिड़ाते रहें।। और एक वो थे जो हंसते रहे हमारे ऊपर... भरी महफिल मेरी मोहब्ब्त का मजाक बनाते रहें।। अफसोस होता हैं आज बड़ा हमे ये बात सोचकर... के हम किस तरह के शख्स पर अपना सब कुछ गवाते रहें।। बस अब सुनाते है अपनी कहानी कुछ शब्दों के सहारे... लोगों का क्या था बस सुनते रहें और तालियां बजाते रहे।। ©gumnaam_writer011 #बेहया