तिरिया बिन तो नर है ऐसा राह बटोही होवे जैसा। शिव बिन शक्ति, सिया बिन राम राधा बिन कृष्ण अधूरे जैसा। बिन नारी के नर जोगी बन वन वन में मारा फिरता रहता। भांग, धतूरा, मदिरा पान बस करता रहता। मृग लोचनी के नैन सर को अस लागी न जाहि। नारी के क्या दूर होवे इनका सुख चैन सब चल जाहि। बिन नारी के नर एक पल भी ना रह पाए। घर को अलखनिरंजन भूतों का डेरा बनाए। जीवन में जब इनके रहती नारी इनसे जुड़े हर चीज़ को व्यवस्थित करती रहती। जीवन सुचारू रूप से चलने लगता जब इनको जानवर से इंसान बनाती। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_478 👉 तिरिया बिन तो नर है ऐसा राह बटोही होवे जैसा लोकोक्ति का अर्थ - बिना स्त्री के पुरुष का कोई ठिकाना नहीं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखने के बाद यहाँ Done काॅमेंट करें।