पलकें पलकें... कितनी वफादार हो अपनी आँखों की वफ़ा तुमसे ही परिभाषित होती है ! तुम्हारी झूकना तुम्हारी उठना शब्द हैं तुम्हारी आँखों की जो तुमसे ही बयां होती है ! अंगरक्षक हो तिनकों लडना बूरा ना देखने देना आँसूओ को छुपाना हर आफत में आँखों के आगे ढाल बन जाना ! पलक. काशा! तुम्हारे जैसा मेरा भी तलबदार होता वफादार होता कोई यार होता प्यार होता ! ©S K Sachin #पलक #आँख