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कुछ अल्फ़ाज़: "क्या कहे? कब तक चुप रहे? कोई आरज़ू मु

कुछ अल्फ़ाज़:

"क्या कहे?
कब तक चुप रहे?
कोई आरज़ू मुकम्मल तो कहे,
प्यास लिए कब तक तड़पते रहे,

बेचैन आहों के सितम कब तक सहे,
सूखे लब प्यासा जिस्म लिए,
दरबादर कब तक भटकते रहे,"

©ALFAZ DIL SE #DrDanQuote 

#merimohabbat
कुछ अल्फ़ाज़:

"क्या कहे?
कब तक चुप रहे?
कोई आरज़ू मुकम्मल तो कहे,
प्यास लिए कब तक तड़पते रहे,

बेचैन आहों के सितम कब तक सहे,
सूखे लब प्यासा जिस्म लिए,
दरबादर कब तक भटकते रहे,"

©ALFAZ DIL SE #DrDanQuote 

#merimohabbat
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