" चुम्बन खास होगा" पढ़े शिर्षक मेरा चुम्बन खास होगा यानी अलौकिक ब्रह्मांड का नीव ढलेगा नैनो से आत्म और आत्म से आत्म विहार होगा वो ना तो लबों के द्कोचने सा होगा ना ही कम फासले से हया के रंग रूप पे असर होगा ये चुम्बन प्रकृतिक् और संवेदना का परस्पर मिलन होगा ना ही ये समय पे उभरेगा ना ही बदन और वासना पे ठहरेगा क्योंकि ये चुम्बन ईश्वर हो जाने का सबसे सरल मार्ग होगा