एक बचपन जो बहुत अजीज था, खेतों की धूल भरी मिट्टी थी , कुएं का शीतल नीर था। गिरते पड़ते जब गलियों में, आंसू आंखों से झरते थे, गंदे कपड़े ना देख ले मां, हम इसी बात से डरते थे , बैठा कर अपनी गोद में , धरती मां को डांट लगाती थी, राजा बेटा बोल बोल कर , वो हमको फुसलाती थी, खेल खेल में खो दिया, एक बचपन जो बहुत अजीज़ था।। वो हमने जिन्हें, खेल खेल में खो दिया... #खेलखेलमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi