अनेक कारणों से मंत्रण का मसला फिर से चर्चा में है वैसे ही संदर्भ से यह बात समझना होगा कि भंडारण दो परिवारों के बीच का मामला नहीं है बल्कि इसे गंभीरता से लेते हुए सोचना चाहिए कि इसका परिणाम क्या हो सकता है समाज और देश के किसी दिशा में ले जाएगा दरअसल देश में कुछ समूह संगठन मंत्रण जैसे समाज विरोधी काम बिना रोक-टोक के करने के लिए लगे हुए हैं इन संगठनों के निशाने पर आमतौर पर गरीब अशिक्षित और विशेषकर दलित आदिवासी लोग होते हैं उल्लेखनीय है कि धर्म समाज व्यवस्था तो अभिन्न अंग है वह व्यक्ति की मानसिकता को काफी हद तक प्रभावित करता है प्रत्येक धर्म को अपनी मान्यता विश्वास और आस्था को प्रकट करने के लिए माध्यम होते हैं लेकिन जब किया जाता है तो निश्चय ही समाज के देश के लिए बड़ी चुनौती साबित होते हैं पिछले दिनों में आत्महत्या करने वाले छात्रों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए सैकड़ों छात्रों ने तमिलनाडु सरकार ईसाई मिशनरियों के खिलाफ प्रदर्शन के छात्रों के आरोप लगाया कि लावण्या पर जबरन निमंत्रण के दबाव बनाया गया था जिस कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुई है कहना गलत नहीं होगा कि मंत्रण एक देशव्यापी समस्या जिस पर एक किससे संख्या केंद्रीय बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि स्वतंत्र भारत का इतिहास हमें यह पाठ पढ़ाता है कि देश में दो बार बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है पहली बार 1990 में इस्लामी कट्टरपंथी के चलते जम्मू कश्मीर के लिए बड़े लाखों में हिंदू को भागना पड़ा और ©Ek villain #परिवर्तन पर बने शब्द केंद्रीय कानून #selflove