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वो एक ही सब में समाया है अपने रूपों से उसने जहाँ

वो एक ही सब में समाया है 
अपने रूपों से उसने जहाँ बनाया है
ढूँढते हैं हम उसे जगह जगह 
पर उस मालिक ने तो हर दिल में घर बनाया है 
 बस फेर हमारी नजरों का 
उसने तो सब को समान बनाया है। 













सुप्रभात

©मेरे साँई
वो एक ही सब में समाया है 
अपने रूपों से उसने जहाँ बनाया है
ढूँढते हैं हम उसे जगह जगह 
पर उस मालिक ने तो हर दिल में घर बनाया है 
 बस फेर हमारी नजरों का 
उसने तो सब को समान बनाया है। 













सुप्रभात

©मेरे साँई