लगाते क्यों मेरे चरित्र पर लांछन तुम अनियंत्रित हो तुम उत्तेजित होकर तुम ऊध्वांग मिलन की सोचते तुम संयम नहीं तुममें अवैध अवांछित देह को निचोडते तुम गिद्ध जैसे मांस नोचते तुम दैहिक व्यापार कर छलते मुझे मेरी पीड़ा से इतर मात्र अपना उल्लू सीधा करते तुम भेड़िया हो तुम संयम तजकर मुझे नग्न कर अपनी प्यास बुझाते तुम और पल्ला झाड़ कर मुझे दुष्चरित्र कहते हो तुम #चरित्र #hindi_poetry #philosophy #lifeisbeautiful #dream #eventplanner #inspiration #instagrampoetry #myquote #desire