नज़्म वो ना भी आए तो गम नही वो ठहरे है ज़ालिम पर हम नही अब जी भी चाहता है हँसने का पर होती है आँखें ये नम नही (Read full piece in caption)— % & अब पास मेरे कोई भरम नहीं मुझ में बस यादें दफान रही अब जी भी तो चाहता है हंसने का पर होते ये दुखड़े क्यों कम नहीं अब उठाए तक ना फोन मेरा उसके सिवा इधर कौन मेरा जिंदगी से नया गिला रोज मेरा