स्कूल और बेंच क्या कभी लौट पाएंगी वो लम्हें जिन लम्हों में,मेरा बचपन गुज़रा था वो नादानियाँ,वो लड़कपन सुनहरा वो आखरी बेंच पे जो नाम उकेरा था स्कूल की वो मस्तियाँ, जबर्दस्तियाँ वो इरादों पे जो जुनून गहरा था लंच बॉक्स का पहली पीरियड में खाली होना और उम्मीदों पे ,खुशियों का सेहरा था क्या कभी लौट पाएंगी वो लम्हें जिन लम्हों में , ज़िन्दगी बह रहा था #पारस #स्कूल #बेंच #ज़िन्दगी