तितली;फिर तो मेरा रोज ही आना-जाना लग गया उस बगिया में-२जहां आप आतीं थीं हर रोज; पर मेरी नजरें रहती थीं आपको ही खोज, जब इक दिन इत्तेफ़ाक़ से आपने भी नजरें मिलाई थीं; थी मेरी नजरों की प्यारी सी गुस्ताखी-२ जो इशारों में ही सब बात बताईं थीं;नजरों में सुना शायद आपने कोई प्यारा सा गीत था;तभी तो चुना हमें अपना मीत था #part_3#my_life#titli#Mylove#Valentine_Day_Celebration_Tyohar