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मेरे हृदय में समाहित हो चुका है अंतहीन सब्र... तुम

मेरे हृदय में समाहित हो चुका है अंतहीन सब्र...
तुम्हारे अस्त हुए प्रेम को पुनः प्राप्त करने का

©Neha Jain
  Manas shandilya VIMLENDRA PRATAP SINGH ad sanjay kumar prajapati  Shriya. 18 S.V SINGH