फिर गीत लिखूं तन्हाई के, फिर दर्द से कुछ याराना हो, उस शमां को बैठा तकता रहूं जलता जिसमें परवाना हो।। ऐ ज़ाहिद रस्ता छोड़ मेरा, सज्दों की तिजारत रहने दे, उस राह पे जाने दे मुझको जिस सिम्त सनम बेगाना हो। क्या ख़्वाब सजाएं पलकों पर, अश्कों का तलातुम क्या कम है? सब छोड़ के चल उस दुनिया में यादों का जहां तहख़ाना हो। ऐ चांद ज़मीं पर उतरा कर, इक बोझ ही हल्का हो जाए, उस दर्द को रक्खूं किस दिल में, जिस दर्द का न पैमाना हो। ताउम्र सदा भी गर तुम दो, वो शख़्स तुम्हारा न होगा, वो लफ़्ज़ कहां से लाओगे, पत्थर को अगर समझाना हो! #yqaliem #dard #tanhaai #talatum #patthar #parwana #sada ज़ाहिद - hermit, religious devout तिजारत - trade तलातुम - high tides, dashing waves.