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               सत्य सत्य को समेटे हुए भीतर ही भीत

               सत्य

सत्य को समेटे हुए भीतर ही भीतर
आखिर क्यों जल रहें हैं हम
कहने का साहस नही या लोकलाज से डर रहें हैं हम
आखिर ?कौन से बोझ के नीचे दब रहे हैं हम
चाहते तो हैं सभी कि ,सत्य से अवगत हो हर कोई
पर क्या वाकई में ,सभंलकर चल रहें हैं सभी ।

            रश्मि वत्स
            मेरठ(उत्तर प्रदेश)

©Rashmi Vats #सत्य#भय#लोकलाज

#darkness
               सत्य

सत्य को समेटे हुए भीतर ही भीतर
आखिर क्यों जल रहें हैं हम
कहने का साहस नही या लोकलाज से डर रहें हैं हम
आखिर ?कौन से बोझ के नीचे दब रहे हैं हम
चाहते तो हैं सभी कि ,सत्य से अवगत हो हर कोई
पर क्या वाकई में ,सभंलकर चल रहें हैं सभी ।

            रश्मि वत्स
            मेरठ(उत्तर प्रदेश)

©Rashmi Vats #सत्य#भय#लोकलाज

#darkness