इस तरह आशिकी का असर हो रहा है तुझ पे फिदा दिल औ जीगर हो रहा है। तेरी ही खुशबू से तर है ये गली, ये डगर तुझी से रोशन ये शहर, ये घर हो रहाहै। प्यास बुझती ही नहीं करीब आकर भी मै तड़पता राही, तू समंदर हो रहा है। मौसमों का मिजाज अच्छा है तेरे कारन वरना तो दुश्मन मेरा हर मंजर हो रहा है। #असर आशिकी क का