माँ! जो मिलता था तुम्हारे रूप से मन में बसा था जो ममता के स्वरूप सा, हृदय में खिला था जो, प्रेम के प्रसून सा. तुम्हारा ही अक्स था वो... मेरे लोचन से छलका था जो. रेत पर लिखा था कुछ, पढ़ नहीं सके जिसको। #रेतपर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #माँ #mamta #प्रेम #life