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झुलसाती धूप में तप जाता है,मेरा भी बदन, अंग अंग, प

झुलसाती धूप में तप जाता है,मेरा भी बदन,
अंग अंग, पोर पोर,दर्द से तड़प उठता है,
पर हमें संबल देता है हमारा मन,
हम प्राण भी न्योछावर कर देंगे,तुम्हारी खातिर,
लेकर उतरे हैं संकल्प,स्वस्थ रहे मेरा वतन,
बस सब घर में ही रहना,हम खड़े है रोड पर तुम्हारे लिए,
लगा कर रक्षा करेंगे सब की, कर्म,मन,वचन,
जय हिन्द जय भारत,
वन्दे मातरम्, अभी हम हैं न,
झुलसाती धूप में तप जाता है,मेरा भी बदन,
अंग अंग, पोर पोर,दर्द से तड़प उठता है,
पर हमें संबल देता है हमारा मन,
हम प्राण भी न्योछावर कर देंगे,तुम्हारी खातिर,
लेकर उतरे हैं संकल्प,स्वस्थ रहे मेरा वतन,
बस सब घर में ही रहना,हम खड़े है रोड पर तुम्हारे लिए,
लगा कर रक्षा करेंगे सब की, कर्म,मन,वचन,
जय हिन्द जय भारत,
वन्दे मातरम्, अभी हम हैं न,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

New Creator

अभी हम हैं न,