जिंदगी की राह में होती रहीं मुलाकातें कुछ साहित्यिक लय में कभी गद्यात्मक कभी पद्यात्मक और होते गए जोड़ बाकी गुणा भाग कभी कभी समीकरणों ने बिगड़ी थी चाल कुछ मिले थे राहों में जो बन गए तथ्यात्मक जिसमें न कोई लय है न कोई संगीत कुछ है तो बस इतना कि जिंदगी हमारी मुट्ठी से जर्रा जर्रा रेत सी झरती रही कुछ लोग मिले थे राहों में कुछ ख़्वाब बुने थे राहों में #राहोंमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi