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इजाज़त है क्या लब से तेरे लब को - चूम लूँ बोलो, तुम

इजाज़त है क्या लब से तेरे लब को - चूम लूँ बोलो,
तुम्हारे गेसुओं में अपनी जन्नत - ढूँढ़ लूँ बोलो ....

तेरी पलकों में बिंध जाऊँ - तेरे आँचल में छिप जाऊँ,
तुम्हारे बाजुओं में अपना घर मैं - ढूँढ़ लूँ  बोलो ....

सर्द रातों का बिस्तर हो - गुलाबी धूप का मरहम,
चाँद को सुबह का सूरज बनाकर - झूम लूँ बोलो .

तुम्हारी मोहनी मूरत - तुम्हारी लच्छों सी बातें,
बनाकर मोरनी तुझे अपने दिल की - घूम लूँ बोलो .

ज़रा नज़रें तो उठाओ - न यूँ लाजों सी शरमाओ,
तुझे लेकरके बाहों में - हृदय में बींध लूँ बोलो ... 

इजाज़त है क्या ,,, बोलो न ....
हृदय पट अपने ,,, खोलो न ....
मुझे हलके में ,,, तोलो न ....

ज़रा अब बोल भी दो न ....
लबों को खोल भी दो न ....
बोलो न  🍁🍁

©Neel
  इजाजत है क्या 🍁
archanasingh1688

Neel

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इजाजत है क्या 🍁 #कविता

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