पल्लव की डायरी उनके अमृत काल और गारंटी देना बेचैन अब आमजन को कर रहे है हादसों पर लीपा पोती दबंगई खबरों और सच्चाई दिखाने पर कर रहे है बदइंतजामी के सारे रिकार्ड हो चुके कायम सबक सारे खो चुके है अपनी पीठ थपथपाते विज्ञापनों में मगर दिल्ली जैसे रेलवे स्टेशनों पर भगदड़ व्यवस्था की पोल खोलते है ट्वीट ट्वीट खेल कर मन्त्री गुमराह देश को करते है कुंभ एक आस्थाओं का संगम है जो हमारी संस्कृति को जिंदा रखते है घटित घटनाओं पर बस किसी का नही है मगर इंतजाम और संवेदना से मरहम भर सकते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Raftaar इंतजाम और संवेदना के मरहम भर सकते है