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एक ऐसी दुनिया में जहां प्यार कड़वा और ठंडा हो गया,

एक ऐसी दुनिया में जहां प्यार कड़वा और ठंडा हो गया,
 एक प्रेम पत्र, दिल के दर्द की कहानी सामने आती है।
 ग़म की स्याही से, वो रूप ले लेती है,
 एक दर्दनाक विलाप, एक प्रेम वियोग।

 हर शब्द एक खंजर, आत्मा को चीरता हुआ,
 ज़ख्मों को खोल रहे हैं, ज़ख्मों को अनकहा छोड़ रहे हैं।
 कागज़ की सिलवटों में, आँसू अपने निशान छोड़ जाते हैं,
 एक प्यार की बदनामी की एक भयावह प्रतिध्वनि।

 कलम, कभी जुनून की आग से भरी,
 अब लहू पछताता है, एक चिता।
 प्रेमपत्र बन जाता है दर्द का पात्र,
 प्यार की एक याद जो टिक नहीं सकी।

 हर वार के साथ, नाराज़गी अपनी पकड़ बना लेती है,
 हर वाक्य, प्यार की एक कहानी ठंडी हो गई।
 वादों के टूटने की गवाह हैं रेखाएँ,
 एक प्यार के टुकड़े जो कभी संजोए थे, अब छोड़ दिए गए हैं।

 शब्द विषैले हो जाते हैं, तिरस्कार से सज्जित,
 प्रेम की मृत्यु कागज के दाने पर उकेरी गई।
 भावनाएँ मुरझा जाती हैं, निराशा से जहर खा जाती हैं,
 एक प्रेम पत्र, प्रेम प्रसंग का एक वसीयतनामा।

 कड़वे छंदों में, दिल फट जाते हैं,
 वज्रपात से बुझ गए प्रेम के अंगारे।
 प्रेम के दुखद निधन का एक वसीयतनामा,
 प्रेम पत्र बताता है कि अब उम्मीद कहां है।

 तो इसे एक सतर्क कहानी होने दें,
 प्यार का खट्टा हो गया, सपनों का जो विफल हो गया।
 एक प्रेम पत्र के उदास अवतरण में,
 प्यार के स्थायी दर्द की याद दिलाता है।

©रोहन बिष्ट #अधूराप्रेमपत्र