41. एक हमसे न मिला वो दुख की नदी में क्या मजबूरी, सुख की हवा में क्या बंदिशे, सब साथ मिले तो वो भी चले, अकेले एक हमसे न मिला वो. गुलाब रेत से निकल रहे, हमको यह रेत भी नसीब नही क्या, उसको देखने सब द्वार पर खड़े रहते, लेकिन अकेले एक हमसे न मिला वो. ध्यान उसका हरपल, ख्याल हरदम, मंजर हर कण-कण में होता होगा, बंद आंखे हो गई इंतजार में, लेकिन अकेले एक हमसे न मिला वो. ©Ankit verma utkarsh❤ collection:-ठंडी धूप 41st poetry #VantinesDay