मन व्याकुल, हृदय मोर भए अधीर, जैसे विचलित हो बिन स्वास शरीर, इत राधा उत श्याम विरह में तड़पत दोनों अँखियाँ झर झर बरसत नीर! #शुभ जन्माष्टमी