दरअसल आप इन वजूदों में ही अच्छी लगती हो...भाव, संवेदनशीलता,संरक्षण,कोमलता...तभी तो हमारे पूर्वजों ने ही आपको ये किरदार दिया था...और ये बेखबर दुनिया नारा लगता है "औरत बचाओ दुनिया बचाओ "...अरे किनसे बचाना है आपके वजुदों को...आपने ही तो किया है ना अपने वजूदों से छेड़छाड़...ये माॅडलिंग ये सफर-ए-चाँद छुने की चाहत...और शायद इतिहास भी तो यही कहता है हमारा...जब-जब हम मानवों ने प्रकृति से छेड़छाड़ किया है...परिणाम उनका हमेशा असहज़ ही आया है....खैर जो भी हो मुझे तो अविरल प्रेम है आपके किरदारों से...जो किसी ना किसी रूप मे बनके अपना मेरा साथ दिया...! और अंत मैं भी लिखता हूँ..."पहले जैसा ही खुबशुरत रहने दो औरत के वजूदों को"...!! 🙏🙏Happy women's day 🙏🙏 ☢ दरअसल यही सच्चाई है...!!!