एक वक़्त था, जब बेचैन रातों को तेरी बाहों का दिलासा था, आँसू मेरे, तेरी कमीज़ से लिपट कर अपना वजूद खो देते थे। प्यार भरी आहों से बने वो निशान तेरे सीने पर, तुझपे मेरे हक़ का एहसास दिलाते थे। और आज देखो, ये करवट बदलती रातों को सिर्फ़ तेरा इंतेज़ार रहता है। नादान ये भी नहीं समझती की ये गर्माहट अब बट चुकी है। आँसू अब समझ गए है, तकियों की आड़ में रहकर ख़ुद को संभालना है की सीने पे चुभते ज़ख़्म अब ग़ैर लगते है। #इंतेज़ार #ज़ख़्म #आंसू #ग़ैर #yqbaba #yqdidi