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मुझे मुस्कुरा के मारा ये सितम नहीं तो क्या है.. कि

मुझे मुस्कुरा के मारा ये सितम नहीं तो क्या है..
किया मुझको बेसहारा ये सितम नहीं तो क्या है..


मुझको क़ुबूल करके बातें फुज़ूल करके..
मुझे कह दिया नकारा ये सितम नहीं तो क्या है..


तेरी याद करके बातें मैंने तमाम रातें..
गम-ए-हिज़्र में गुज़ारा ये सितम नहीं तो क्या है..


तू गयी तो फिर न आयी मैं न सह सका जुदाई..
तुझे दर-ब-दर पुकारा ये सितम नहीं तो क्या है..

यूसुफ़ आर खान

©F M POETRY
  #sitamnhitokyahai
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