मेरी ग़ज़लों का खुदारा यूं तमाशा ना बने,
मैं उसपे शेर लिखूं, शेर भी अच्छा ना बने,
वो क्या दरख़्त जो तुझको ना दे सके साया,
वो संग क्या तेरे कूंचे का जो रस्ता ना बने,
सभी का हुस्न तेरे हुस्न का सदका हो मगर,
ये तेरा हुस्न किसी हुस्न का सदका ना बने, #Poetry