शीर्षक-अच्छी बात नहीं है ये कोई plan है future को लेकर? नहीं। क्या बनना है? पता नहीं। बहती हो समय के साथ, जैसे बहती हो नदी सपनों के जैसे मुक्ता! जीती हो जिन्दगी। 🙂 एक नींद को सोने को कितना जीवन जागना पङता है, सपनों के लिए समाज के बंधे नियमों से भागना पङता है इन सब में हम भूल जाते है खुदको और अंत में दगा दे जाती है ये जिन्दगी। ©ekta #मनमौजी💕 #मुक्ता