सिक्कों की तरह खनकते है, फैसलो के लिए उछाले जाते है रिश्वतों की तलब दुनिया को है पकड़े फिर भी हम जाते है, पाकर हमको कुछ भटक जाते है और कुछ सम्भल जाते है जिनकी जेबों में हम पड़े है, वो इस बारिश में भी भीग जाते है बस सिक्कों की तरह खनकते है------------ ©Aslam Marham prashu pandey VSP Ayushi Singh Preety