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पल्लव की डायरी चंचलता मेरी,मन को भाने लगी है उम्र

पल्लव की डायरी
चंचलता मेरी,मन को भाने लगी है
उम्र मेरी जबानी की ओर जाने लगी है
जैसे कली कोई फूट कर मुस्कराने लगी है
अंग अंग में जोश भर गया है
मयूरी की तरह नाचने लगी हूँ
चाहतों से कोई चाहने लगे मुझे
बस ये ही तमन्ना हर पल भाने लगी हूँ
काबू में नही है मेरा दिल
 प्यार के गीत गुन गुनाने लगी हूँ
                                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Behna चंचलता मेरी,मेरे मन को भाने लगी है
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