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गुरु बिन था अंधेरा घना नवीन "नव 'बीगोद गुरु ब

गुरु बिन था अंधेरा घना 
   नवीन "नव 'बीगोद

गुरु बिन था अंधेरा घना ।
उनके बिन था जीवन फ़ना  ।।
जबसे आए जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन जीवन बना ।।

मेरी ना जग में  थी कोई हस्ती ।
लड़खड़ाती रहती थी ये कस्ती  ।।
दिनकर से दीप्त चंदा हूँ मैं ।
गुरुवर बिन थी वीरान  बस्ती  ।।

हताशा के दलदल फँसने लगा ।  
 गुरुवर का साया साहिल बना ।।
जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।।

उनको करता ,शत शत नमन ।
उनको करता हूँ हर पल वंदन ।।
मिथ्या से भरपूर समुंदर था मैं ।
गुरुवर  ने किया दोष - मंथन  ।।

कच्चा घड़ा  में  सार्थक बना ।
गुरुवर की थाप से पक्का बना ।।
 जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।।

सदा आपका यूँ ही आशीष हो ।
नेकी चले सदा ऊर्ध्व शीश हो ।।
गुरुवर गुर को  ना भूलें हम ।
मन में सदा ही मेरे पीस  हो ।।

धन्य हुआ  मुझ पर साया बना ।
तकदीर मेरी जो शिष्य बना ।। 
जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
नवीन नव बीगोद
गुरु बिन था अंधेरा घना 
   नवीन "नव 'बीगोद

गुरु बिन था अंधेरा घना ।
उनके बिन था जीवन फ़ना  ।।
जबसे आए जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन जीवन बना ।।

मेरी ना जग में  थी कोई हस्ती ।
लड़खड़ाती रहती थी ये कस्ती  ।।
दिनकर से दीप्त चंदा हूँ मैं ।
गुरुवर बिन थी वीरान  बस्ती  ।।

हताशा के दलदल फँसने लगा ।  
 गुरुवर का साया साहिल बना ।।
जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।।

उनको करता ,शत शत नमन ।
उनको करता हूँ हर पल वंदन ।।
मिथ्या से भरपूर समुंदर था मैं ।
गुरुवर  ने किया दोष - मंथन  ।।

कच्चा घड़ा  में  सार्थक बना ।
गुरुवर की थाप से पक्का बना ।।
 जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।।

सदा आपका यूँ ही आशीष हो ।
नेकी चले सदा ऊर्ध्व शीश हो ।।
गुरुवर गुर को  ना भूलें हम ।
मन में सदा ही मेरे पीस  हो ।।

धन्य हुआ  मुझ पर साया बना ।
तकदीर मेरी जो शिष्य बना ।। 
जबसे आए  ,जीवन में मेरे ।
तब से ये जीवन  जीवन बना ।। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
नवीन नव बीगोद

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं नवीन नव बीगोद