प्यार का पहला ख़त पढ़ करके न जाने कितने दिन और रातों का चैन गंवाया था, वो ख़त आज भी मेरे पास है जो तूने प्यार के एहसास के मोतियों से सजाया था। तेरे दिल के हर एक एहसास का एहसास था मुझे फिर भी खामोशी दरमियां थी, तेरे ख़त ने ही तो हमारे दिल के सोए हुए हर एक एहसास को फिर से जगाया था। जिंदगी जिए जा रहे थे हम बिना किसी मकसद और बिना किसी भी उम्मीद के ही, तेरे ख़त ने ही मेरी जिंदगी को एक नया मकसद देकर जिंदगी जीना सिखाया था। अनजान थे अपनी ख्वाहिशों की उड़ान से ख्वाहिशों को खुद ही कैद कर रखा था, तेरे ख़त ने ही मेरी सारी दबी ख्वाहिशों को पंख देकर उड़ान भरना सिखाया था। चाहता ना था मेरा दिल कभी भी प्यार की मुश्किलों से भरी हुई राहों पर चलना, तेरे ख़त ने ही प्यार की मुश्किल राहों पर चलने के लिए मेरा हौसला बढ़ाया था। मेरी जिंदगी में हमेशा वीरानियों और तन्हाइयों की महफिलें ही सजी रहती थीं, तेरे ख़त ने ही बेरंग व बेनूर सी जिंदगी को प्यार के इंद्रधनुषी रंगों से सजाया था। ♥️ Challenge-989 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।